उत्तर है : a& b
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार रोब्स फ्रूट ब्रिटिश भूगर्भ वैज्ञानिक और पुरातत्व थे। जियोलॉजिकल सर्वे से संबंध ब्रूस फ्रूट ने 1863 ईस्वी में भारत में पाषाण कालीन बस्तियों के अन्वेषण की शुरुआत की अतः स्पष्ट है कि इस प्रश्न का उत्तर विकल्प ए और दो दोनों ही हो सकते हैं।
डेनमार्क के कोपेनहेगन संग्रहालय में 1818 और 1820 में एक आयोग की रिपोर्ट के अनुसार , सामग्री के आधार पर पाषाण, कौन से और लोग युग का त्रियाेग्य विभाजन क्रिश्चियन थॉमसन ने किया था । और थॉमसन ने 1836 ईस्वी में इसी वर्गीकरण के अनुसार संग्रहालय की वस्तुओं का विवरण प्रकाशित भी किया था।
मध्य पाषाण काल के अंतिम चरण में पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त होने लगते हैं ऐसे पशुपालन के साक्ष्य भारत में ( आदमगढ़) ( होशंगाबाद, मध्य प्रदेश) तथा बागोर ( भीलवाड़ा, राजस्थान )से मिले हैं
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें
इसका उत्तर तीन और चार दोनों है ।
मध्य पाषाण कालीन महदहा उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित से बड़ी मात्रा में हड्डी एवं सिंह निर्मित उपकरण प्राप्त हुए हैं। जी आर शर्मा महदहा में तीन क्षेत्रों का उल्लेख करते हैं, जो झील क्षेत्र भूषण खाना संकुल क्षेत्र एवं कब्रिस्तान निवास क्षेत्र में बांटा था मूच़डखाना संकुल क्षेत्र से ही हड्डी एवं सिंह निर्मित उपकरण एवं आभूषण बड़े पैमाने पर पाए गए हैं सराय नाहर राय सेबी अलग मात्रा में हड्डी के उपकरण मिले हैं।
मध्य गंगा घाटी के प्रतापगढ़ जिले में स्थित सराय नाहर राय मेहदाहा तथा दमदमा का उत्खनन हुआ है दमदमा में लगातार 5 वर्षों तक किए गए उत्खनन के फलस्वरुप पश्चिमी तथा मध्यवर्गीय क्षेत्र से कुल मिलाकर 41 मानव शवाधान ज्ञात हुए हैं इन शवाधानों में से पांच समाधान निगम शवाधान है और एक समाधान में तीन मानव कंकाल एक साथ दफन हुए मिले हैं से समाधानों में एक-एक कंकाल मिले हैं
खदानों का उत्पादन सर्वप्रथम नवपाषाण काल में हुआ यही वह समय है जब मनुष्य कृषि कम से परिचित हुआ।
भारत में मानव का सर्वप्रथम साक्ष्य मध्य प्रदेश के पश्चिमी नर्मदा क्षेत्र के अवस्थित हथनौरा होशंगाबाद नमक पुरास्थल से प्राप्त हुआ इसकी खोज पुरातत्व अरुण सोनकिया द्वारा 5 दिसंबर 1982 में किया गया था।
उपयुक्त प्रश्न के व्याख्या देखें
आधुनिक मानव समाज द्वारा मुख्य रूप से आठ खाद अनाजों का उपभोग किया गया है जो गेहूं चावल मक्का बाजार सोरगम,राई एवं जई ।
अनाजों के पौधे विभिन्न क्षेत्रों में जंगली घास के रूप में विद्वान थे जिन्हें बीजों के रूप में अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय पर मानव ने उगाया । वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो सर्वप्रथम जौ 8000 इस पर्व के आसपास भूमध्य सागर एवं ईरान के मध्य स्थित पश्चिम एशिया के देश में मानव द्वारा उगाया गया, बाद में लगभग इन्हीं क्षेत्रों में 8000 इस पर्व के आसपास ही गेहूं भी उगाया जाने लगा।
नवीनतम खोजने के आधार पर भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में स्थित लहुरा देव है यहां से 9000 ईसा पूर्व से 7000 ईसा पूर्व तक के बीच चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं उल्लेखनीय है कि इस नवीनतम खोज के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप का प्राचीनतम कृषि साक्ष्य वाला स्थल मेहरगढ़ के पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यहां से 7000 इस पर्व के गेहूं के साक्षी मिले हैं जबकि प्राचीनतम चावल के साक्ष्य वाला स्थल गोल्डी हवा इस्लामाबाद जिले में बेलन नदी के तट पर स्थित जहां से 6500 इस पर्व के चावल की भूसी की साक्षी मिले हैं माना जाता है कि उपरोक्त संदर्भ में अब यदि विकल्प में लहरा देव रहता है तो उपयुक्त विकल्प वही होगा परंतु लहुरदेव के विकल्प में न होने की स्थिति में इसका उत्तर पूर्व की भांति होगा।
उपयुक्त प्रश्न की व्याख्या देखें
दिए गए विकल्पों में प्राचीनतम अस्थाई जीवन के प्रमाण सर्वप्रथम बलूचिस्तान के दक्षिण मैदान स्थित मेहरगढ़ में से मिले हैं जिसकी प्रमाणिक तिथि सातवीं 17 विधि ईसा पूर्व 7000 इस पर्व है जबकि की गुल मोहम्मद एवं कालीबंगा की प्राचीनतम तिथि कम से कम 4000 ईसा पूर्व एवं 3500 इस पर्व है अतः विकल्प दी सही होगा।
उत्तर-(b)
बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में स्थित पुरास्थल मेहरगढ़ से पाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेष प्राप्त हुए है।
U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2009
उत्तर-(c)
नवदाटोली (मध्य प्रदेश) का उत्खनन दक्कन कॉलेज, पूना के प्रोफेसर एच.डी. सांकलिया ने कराया था। यह स्थल इस महाद्वीप का सबसे | विस्तृत उत्खनित ताम्रपाषाणिक ग्राम स्थल है, जिसकी तिथि ई. पू. 1600 से 1300 के मध्य निर्धारित की गई है।
U.P.P.C.S. (Mains) 2009
U.P.P.C.S. (Mains) 2005
उत्तर-(b)
नवपाषाण युगीन दक्षिण भारत में शवों को विभिन्न प्रकार की समाधियों में दफनाने की परंपरा विद्यमान थी। इन समाधियों को जो विशाल पाषाण खंडों से निर्मित हैं, वृहत्पाषाण या मेगालिथ (Megalith) के नाम से जाना जाता है। इनके विभिन्न प्रकार हैं; जैसे- सिस्ट-समाधि, पिटसर्किल, कैर्न-सर्किल, डोल्मेन, अंब्रेला-स्टोन, हुड-स्टोन, कंदराएं, मेहिर।